मर्यादा घर (सौचालय) बनवा दो
मर्यादा घर (सौचालय) बनवा दो :-
रोज सुबह-सुबह जब लोटा लेकर जाती,
शर्माती, घबराती और नजरें चुराती,
मेरी तकलीफ कोई न समझता,
ना मैं किसी को समझा पाती।
सब कहते हैं, मैं हूं घर की मर्यादा ,
पर खेत-मैदान में आधा बदन दिखाती,
कहा नही कभी मॉ-बाप, बहन भाई पति को।
काश ! मैं बतला पाती,
मुझे इस शर्मन्दगी से मुक्ति दिला दो,
घर में एक मर्यादा घर बनवा दो,
घर में एक मर्यादा घर बनवा दो।
Keywords : comments,share,story,jokes
रोज सुबह-सुबह जब लोटा लेकर जाती,
शर्माती, घबराती और नजरें चुराती,
मेरी तकलीफ कोई न समझता,
ना मैं किसी को समझा पाती।
सब कहते हैं, मैं हूं घर की मर्यादा ,
पर खेत-मैदान में आधा बदन दिखाती,
कहा नही कभी मॉ-बाप, बहन भाई पति को।
काश ! मैं बतला पाती,
मुझे इस शर्मन्दगी से मुक्ति दिला दो,
घर में एक मर्यादा घर बनवा दो,
घर में एक मर्यादा घर बनवा दो।
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