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Showing posts from May, 2017

गौतम बुद्ध के सुविचार

*• गौतम बुद्ध के सुविचार •* .... जो गुजर गया उसके बारे में मत सोचो और भविष्य के सपने मत देखो केवल वर्तमान पे ध्यान केंद्रित करो ।                   *– गौतम बुद्ध* .... आप पूरे ब्रह्माण्ड में कहीं भी ऐसे व्यक्ति को खोज लें जो आपको आपसे ज्यादा प्यार करता हो, आप पाएंगे कि जितना प्यार आप खुद से कर सकते हैं उतना कोई आपसे नहीं कर सकता।                   *– गौतम बुद्ध* .... स्वास्थ्य सबसे बड़ा उपहार है, संतोष सबसे बड़ा धन और विश्वास सबसे अच्छा संबंध।                   *– गौतम बुद्ध* .... हमें हमारे अलावा कोई और नहीं बचा सकता, हमें अपने रास्ते पे खुद चलना है।                   *– गौतम बुद्ध* .... तीन चीज़ें ज्यादा देर तक नहीं छुपी रह सकतीं – सूर्य, चन्द्रमा और सत्य                   *– गौतम बुद्ध* .... आपका मन ही सब कुछ है, आप जैसा सोचेंगे वैसा बन जायेंगे ।                   *– गौतम बुद्ध* .... अपने शरीर को स्वस्थ रखना भी एक कर्तव्य है, अन्यथा आप अपनी मन और सोच को अच्छा और साफ़ नहीं रख पाएंगे ।                   *– गौतम बुद्ध* .... हम अपनी सोच से ही निर्मित होते हैं, ज

सुनार से लक्ष्मी जी रूठ गई

एक सुनार  से लक्ष्मी  जी  रूठ गई । जाते वक्त  बोली मैं जा रही  हूँ और मेरी जगह  टोटा (नुकसान ) आ रहा है । तैयार  हो जाओ। लेकिन  मै तुम्हे अंतिम भेट जरूर देना चाहती हूँ।मांगो जो भी इच्छा  हो। सुनार बहुत समझदार  था ।उसने 🙏 विनती  की टोटा आए तो आने  दो । लेकिन  उससे कहना की मेरे परिवार  में आपसी  प्रेम  बना रहे ।बस मेरी यही इच्छा  है। लक्ष्मी  जी  ने  तथास्तु  कहा। कुछ दिन के बाद :- सुनार की सबसे छोटी  बहू  खिचड़ी बना रही थी । उसने नमक आदि  डाला  और अन्य  काम  करने लगी । तब दूसरे  लड़के की  बहू आई और उसने भी बिना चखे नमक डाला और चली गई । इसी प्रकार  तीसरी , चौथी  बहुएं  आई और नमक डालकर  चली गई । उनकी सास ने भी ऐसा किया । शाम  को सबसे पहले सुनार  आया । पहला निवाला  मुह में लिया ।देखा बहुत ज्यादा  नमक  है। लेकिन  वह समझ गया  टोटा(हानि)  आ चुका है। चुपचाप खिचड़ी खाई और चला गया । इसके बाद  बङे बेटे का नम्बर आया । पहला निवाला  मुह में लिया ।पूछा पिता जी  ने खाना खा लिया ।क्या कहा उन्होंने ? सभी ने उत्तर दिया-" हाँ खा लिया  ,कुछ नही बोले।" अब ल

आहिस्ता से पढना मेरे दोस्त

*आहिस्ता से पढना मेरे दोस्त,*-- एक वाक्य भी दिल में बैठ गया तो कविता सार्थक हो जायेगी:--- मैं रूठा ,       तुम भी रूठ गए                       फिर मनाएगा कौन ? आज दरार है ,            कल खाई होगी                            फिर भरेगा कौन ? मैं चुप ,      तुम भी चुप           इस चुप्पी को फिर तोडे़गा कौन ? छोटी बात को लगा लोगे दिल से ,                  तो रिश्ता फिर निभाएगा कौन ? दुखी मैं भी और  तुम भी बिछड़कर ,                    सोचो हाथ फिर बढ़ाएगा कौन ? न मैं राजी ,        न तुम राजी ,              फिर माफ़ करने का बड़प्पन                                        दिखाएगा कौन ? डूब जाएगा यादों में दिल कभी ,                         तो फिर धैर्य बंधायेगा कौन ? एक अहम् मेरे ,        एक तेरे भीतर भी ,                इस अहम् को फिर हराएगा कौन ? ज़िंदगी किसको मिली है सदा के लिए ?               फिर इन लम्हों में अकेला                                      रह जाएगा कौन ? मूंद ली दोनों में से गर किसी दिन            एक ने आँखें....                 तो कल इस बा