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Showing posts from October, 2020

गधा और किसान : शैतान हमारे बीच सिर्फ गधा छोड़ता है बस!

 गधा पेड़ से बंधा था। शैतान आया और उसे खोल गया। गधा मस्त होकर खेतों की ओर भाग निकला और खड़ी फसल को खराब करने लगा। किसान की पत्नी ने यह देखा तो गुस्से में गधे को मार डाला। गधे की लाश देखकर गधे के मालिक को बहुत गुस्सा आया और उसने किसान की पत्नी को गोली मार दी।  किसान पत्नी की मौत से इतना गुस्से में आ गया कि उसने गधे के मालिक को गोली मार दी। गधे के मालिक की पत्नी ने जब पति की मौत की खबर सुनी तो गुस्से में बेटों को किसान का घर जलाने का आदेश दिया। बेटे शाम में गए और मां का आदेश खुशी-खुशी पूरा कर आए। उन्होंने मान लिया कि किसान भी घर के साथ जल गया होगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। किसान वापस आया और उसने गधे के मालिक की पत्नी और बेटों, तीनों की हत्या कर दी। इसके बाद उसे पछतावा हुआ और उसने शैतान से पूछा कि यह सब नहीं होना चाहिए था। ऐसा क्यों हुआ? शैतान ने कहा, 'मैंने कुछ नहीं किया। मैंने सिर्फ गधा खोला लेकिन तुम सबने रिऐक्ट किया, ओवर रिऐक्ट किया और अपने अंदर के शैतान को बाहर आने दिया। इसलिए अगली बार किसी का जवाब देने, प्रतिक्रिया देने, किसी से बदला लेने से पहले एक लम्हे के लिए रुकना और सो

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और देश के लाल

 राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और देश के लाल जमीन से जुड़े नेता  सादगी और सिंद्धान्तों की मिसाल लालबहादुर शास्त्री की जयंती के अवसर पर सभी देशवासियों को शुभकामनाएं।  गांधी एक दर्शन थे एक संभ्यता थे एक संस्कृति थे जी हमको जीना सीखा गए। उनके विचार उनके सिद्धान्त उनकी सादगी पूर्ण जीवन शैली नजीर है और अनुकरणीय है। उनका  सत्य  और अहिंसा का प्रयोग लोकतंत्र की नींव को वह मजबूती दे गया जिस पर लोकतंत्र आज टिका है।  गांधी मर कर भी अमर हो गए आज भी हमारे दिलों में जिंदा है जबकि कायर नपुंसक भीरु हत्यारा गोडसे जीवन पर्यन्त घृणा का पात्र बना रहेगा। महात्मा गांधी अमर रहे  उनकी कीर्ति युगों युगों तक अक्षय रहे। इतिहास की रेडिमेड समझ रखने वालों को लगता है कि गांधी की वजह से भारत का विभाजन हुआ! यह बात आपकी समझ से बाहर है कि कई पैमानों पर पहले से टुकड़ों-टुकड़ों में बंटा भारत, गांधी के जीवन काल तक गांधी के ही सरल लेकिन विराट व्यक्तित्व की छाया में उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक एक अदृश्य धागे में बंधा हुआ था! गांधी से जिनको विरोध है वो यह क्यों नहीं बताते कि किस कर्म और तपस्या के बल पर गांधी ने