घाटी की घटनाओं पर तो मौन हुई
उरी घटना से आहत होकर सभी राष्ट्रभक्तों की तरफ़ से मोदी जी को नसीहत देती तथा युद्ध के लिए प्रेरित करती मेरी रचना --
(अगर आप मेरी रचना से सहमत हों तो share करें ताकि उन तक पहुँचे, देश की आवाज़ )
घाटी की घटनाओं पर तो मौन हुई अब दिल्ली है
सिंहों की सूरत को देखो, कैसी भीगी बिल्ली है
देखो पैलट पर पाबंदी का कैसा परिणाम मिला
मोदी-महबूबा के गठबंधन का ये ईनाम मिला
तुमको आती रहती खुशबू काश्मीर के गमले से
फ़िर से घायल भारत माता आतंकी के हमले से
आँसू सबके बहते रहते पत्थर के आघाती पर
सैनिक लाशें थूक रहीं हैं छप्पन इंची छाती पर
तुम तो बड़े शौक से उनको शिक्षित करने निकले थे
घाटी के घड़ियालो की तुम पीडा हरने निकले थे
विषबेलो से अमन चैन की भिक्षा लेने निकले थे
कुत्तों को तुम कंप्यूटर की शिक्षा देने निकले थे
उन्हीं शांति के दूतो ने देखो कैसा व्यवहार किया
मोदी तेरे जन्मदिवस पर घाटी ने उपहार दिया
तुमपर किया भरोसा था उनसे सिंहासन छीना है
तुमने भी पर उसी राग में आज बजाया बीना है
उनको भाती दौलत तुमको महबूबा की लाली है
उनका मुँह था स्याह, तुम्हारी तशरीफे भी काली हैं
भ्रष्टाचार हुआ है कम तो बढ़ता ग्राफ विकास का
बुलेटफ़्रूफ़ बिन बुलेट ट्रेन का दृश्य बना परिहास का
आज हुआ जुमलों वाला भी तुम्हें फोबिया लगता है
घाटी का हर घाट-घाट तो हमें सीरिया लगता है
आतंकी घटनाओं को हर दिल की टीस बनाया है
तुमने भी ब्रह्मोस, बराको को शोपीस बनाया है
इस निंदा की नादानी में कितनी बली चढाओगे
उरी के उर से रक्तिम होतीं कितनी गली बढाओगे
बाँधा कफ़न उन्होंने सर, पर इतनी सस्ती जान नहीँ
खुली छूट जो मिल जाती तो होता करुणिम गान नहीँ
राजनाथ इस्तीफा दो तुम, बात सुनो कड़वी सच्ची
जिसने पंडित दुत्कारे हैं, कौम नहीँ है वो अच्छी
या फ़िर भूल सुधारो अपनी इक अच्छा सा काम करो
अमरीका से आँख तरेरो अपना ऊँचा नाम करो
जो अलगावी ज़हर उगलती रसना वो खट्टी कर दो
इजरायल की भाषा में घाटी गाजा पट्टी कर दो
जिनके बहकावे में आकर घाटी नित-नित जलती है
जिनकी करतूतों से सैनिक माएं आँखें मलती हैं
उनके घर में घुसकर अब तो परमाणु से बात करो
जुमले छोडो या सिंहासन या फ़िर अब आघात करो
नापाकी का नक्शा दस टुकडों का ठोहर हो जाए
तिल-तिल मरने से अच्छा युद्धों का जौहर हो जाए
राष्ट्रभक्त की आँखों में अब अंगारों का पानी है
बलिदानों की फिक्र करो मत हर माँ पन्ना दानी है
कहे "देव" जब तक ये जिन्ना पाकिस्तानी जिन्दा है
तुमको चुनने वाला तो हर इक वोटर शर्मिन्दा है
कवि देवेन्द्र प्रताप सिंह "आग"
9675426080
Keywords : comments,story,share,jokes
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घाटी की घटनाओं पर तो मौन हुई अब दिल्ली है
सिंहों की सूरत को देखो, कैसी भीगी बिल्ली है
देखो पैलट पर पाबंदी का कैसा परिणाम मिला
मोदी-महबूबा के गठबंधन का ये ईनाम मिला
तुमको आती रहती खुशबू काश्मीर के गमले से
फ़िर से घायल भारत माता आतंकी के हमले से
आँसू सबके बहते रहते पत्थर के आघाती पर
सैनिक लाशें थूक रहीं हैं छप्पन इंची छाती पर
तुम तो बड़े शौक से उनको शिक्षित करने निकले थे
घाटी के घड़ियालो की तुम पीडा हरने निकले थे
विषबेलो से अमन चैन की भिक्षा लेने निकले थे
कुत्तों को तुम कंप्यूटर की शिक्षा देने निकले थे
उन्हीं शांति के दूतो ने देखो कैसा व्यवहार किया
मोदी तेरे जन्मदिवस पर घाटी ने उपहार दिया
तुमपर किया भरोसा था उनसे सिंहासन छीना है
तुमने भी पर उसी राग में आज बजाया बीना है
उनको भाती दौलत तुमको महबूबा की लाली है
उनका मुँह था स्याह, तुम्हारी तशरीफे भी काली हैं
भ्रष्टाचार हुआ है कम तो बढ़ता ग्राफ विकास का
बुलेटफ़्रूफ़ बिन बुलेट ट्रेन का दृश्य बना परिहास का
आज हुआ जुमलों वाला भी तुम्हें फोबिया लगता है
घाटी का हर घाट-घाट तो हमें सीरिया लगता है
आतंकी घटनाओं को हर दिल की टीस बनाया है
तुमने भी ब्रह्मोस, बराको को शोपीस बनाया है
इस निंदा की नादानी में कितनी बली चढाओगे
उरी के उर से रक्तिम होतीं कितनी गली बढाओगे
बाँधा कफ़न उन्होंने सर, पर इतनी सस्ती जान नहीँ
खुली छूट जो मिल जाती तो होता करुणिम गान नहीँ
राजनाथ इस्तीफा दो तुम, बात सुनो कड़वी सच्ची
जिसने पंडित दुत्कारे हैं, कौम नहीँ है वो अच्छी
या फ़िर भूल सुधारो अपनी इक अच्छा सा काम करो
अमरीका से आँख तरेरो अपना ऊँचा नाम करो
जो अलगावी ज़हर उगलती रसना वो खट्टी कर दो
इजरायल की भाषा में घाटी गाजा पट्टी कर दो
जिनके बहकावे में आकर घाटी नित-नित जलती है
जिनकी करतूतों से सैनिक माएं आँखें मलती हैं
उनके घर में घुसकर अब तो परमाणु से बात करो
जुमले छोडो या सिंहासन या फ़िर अब आघात करो
नापाकी का नक्शा दस टुकडों का ठोहर हो जाए
तिल-तिल मरने से अच्छा युद्धों का जौहर हो जाए
राष्ट्रभक्त की आँखों में अब अंगारों का पानी है
बलिदानों की फिक्र करो मत हर माँ पन्ना दानी है
कहे "देव" जब तक ये जिन्ना पाकिस्तानी जिन्दा है
तुमको चुनने वाला तो हर इक वोटर शर्मिन्दा है
कवि देवेन्द्र प्रताप सिंह "आग"
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