रोज तमाशा बिन पुस्तक के

लो जी साहब ड्रेस भी बँट गया
किताबों के दर्शन मिले नही
देह बढ़ रही फल दूध से
मस्तिष्क द्वार अभी खुले नही

सत्र नया अप्रैल से चालू
ऊबे बच्चे गाकर भालू
पाँच महीने गुजर गए हैं
अधिकारी अब तक हिले नही
लो जी साहब ड्रेस भी बँट गया
किताबों के दर्शन मिले नही

रोज तमाशा बिन पुस्तक के
विद्यालय में होता है
अभिभावक के ताने सुनकर
शिक्षक मन ही मन रोता है
बीज है बोता रोज मगर
अभी ज्ञान पुष्प कहीं खिले नही
लो जी साहब ड्रेस भी बँट गया
किताबों के दर्शन मिले नही

नजर घुमाता राज जिधर भी
कमीशन की भरमार है
ऊपर से लेकर नीचे तक
सब के सब हिस्सेदार है
फटा पड़ा है सिस्टम सारा
कोई भी इसको सिले नही
लो जी साहब ड्रेस भी बँट गया
किताबों के दर्शन मिले नही


Keywords ; comments,story,share,jokes

Comments

Popular posts from this blog

Jokes: पड़ोस की भाभी को देखने के लिए पप्पू पेड़ पर चढ़ गया...और तभी...

खुद की शादी की चर्चा

Jokes: सोनू ने एक वकील की तरह बेचा संतरा, तब टीचर ने बोली मजेदार बात

Jokes: जब पप्पू का जवाब सुन चकराया मास्टर जी का सिर, पढ़ें वायरल चुटकुला

उबुन्टु ( *UBUNTU* ) - एक सुंदर कथा

Jokes: बीवी की ऐसी धमकी सुनकर कोई भी पति हो जाएगा बेहोश, पढ़ें मजेदार जोक्स

JOKES : सुबह-शाम हंसने की आदत डालें, बनें सेहतमंद, पढ़िए धमाकेदार जोक्स