समझें और समझाएँ 2-4 दिन की परेशानी से घबड़ाए नहीं

समझें और समझाएँ

गाँव के बाहर एक तालाब था...... बहुत ही विशाल... लम्बा-चौड़ा... पानी से लवालव भरा हुआ...
जितना पुराना गाँव का इतिहास था.... उतना ही पुराना तालाब भी था।
किसी को नहीं पता कि यह तालाब कब से था?..... किसने बनाया था?
इसे जिसने भी देखा था.....  ऐसे ही देखा था..... इसी रूप में.....

तालाब में बहुत सारी मछलियाँ रहती थी..... हर किस्म की..... छोटी-बड़ी..... रंग-विरंगी.....
मछलियाँ इस तालाब की शोभा थी। वह एक झुंड में अपने परिवार के साथ रहती..... तालाब के स्वच्छ, निर्मल जल में इधर-उधर भ्रमण करती..... इतराती-इठलाती......  जल-क्रीड़ा करती।
इन छोटी-बड़ी मछलियों के लिए उस बड़े तालाब में दाने-चारे की कोई कमी न थी..... इस मनोहारी उपयुक्त वातावरण में मछलियों के झुंड खुश थे, फल-फूल रहे थे..... एक साथ बढ़ रहे थे.....

पर न जाने ऐसा क्या हुआ कि मछलियों के इस सुखी जीवन को किसी की नजर लग गई.....
इन छोटी-छोटी मछलियों के झुंड में कुछ मछलियाँ बहुत जल्दी ही एक विशाल बड़े मछली के रूप में इसके बीच आ गई...... यह अपने झुंड में से ही अचानक बढ गई या बाहर से इन विशाल मछलियों को किसी ने तालाब में छोड़ दिया..... पता नहीं।
कैसे क्या हुआ...... भगवान जाने।

तालाब में ये विशाल मछली संख्या में तो थोड़े थे पर पूरे तालाब पर इसका अधिकार हो गया था। यह छोटे-छोटे मछलियों के हिस्से का चारा भी चट करने लग गए..... छोटे मछलियों को अपना ग्रास बनाने लगे....
छोटे-छोटे मछलियों का जीना मुश्किल होने लगा...... चारे की कमी होने लगी..... हर समय बड़े मछलियों द्वारा खाए जाने का डर सताने लगा।
पर्याप्त चारे के अभाव में छोटी-छोटी मछलियाँ कमजोर होने लगी..... दम तोड़ने लगी...... उसकी वृद्धि रूक गई.....

अब तालाब में पहले वाली रौनक न थी...... वो धमाचौकड़ी न थी..... वो चंचलता न थी......
शनैः शनैः स्थिति वद से वदतर होने लगी.....

गाँव वाले चिंतित रहने लगे...... गाँव प्रधान भी इससे दुखी थे....
क्या किया जाए किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था। समस्या विकराल थी पर इसका कोई स्थाई समाधान किसी के पास न था.....

गाँव प्रधान बड़ा जीवट था। वह हर हाल में इस समस्या का निदान चाहता था..... वह तालाब की वही पहले वाली सुंदरता को वापस लाना चाहता था.....वह तालाब के छोटी-छोटी मछलियों के दुख को दूर करना चाहता था।

एक रात.....
ग्राम प्रधान के दिमाग में सहसा एक उपाय सूझा। वह उठा और तालाब के सभी जल निकासी मार्ग पर जाल लगाया और फिर एक साथ सभी मार्ग को खोल दिया। तालाब का जल बहुत तेजी से बाहर आने लगा।
सुबह होते-होते तालाब का पूरा जल वह चुका था..... जल के अभाव में मछलियाँ तड़प रही थी। छोटी-छोटी मछलियाँ तालाब के दलदल और कीचड़ में घुस कर किसी तरह अपने आप को बचाने लगी। विशाल मछली दल दल में घुस नहीं  पा रही थी..... वह दम तोड़ने लगी।

विशाल मछली को मारने के चक्कर में छोटी-मछली भी कष्ट झेल रही थी। वावजूद इसके छोटी मछलियाँ इस कष्ट में भी खुश थी। विशाल मछलियों को वे सामने तड़प-तड़प कर मरते देख रही थी। उसके चेहरे पर संतोष के भाव थे। उनकी समस्या का स्थाई समाधान हो रहा था। अब उन्हें फिर से पर्याप्त चारा मिलने लगेगा..... उसका जीवन सुखमय होने वाला था..... उसे अपना भविष्य उज्ज्वल दिख रहा था।

जब सारी विशाल मछलियों ने दम तोड़ दिया तो गांव प्रधान ने तालाब को फिर से जल से लवालव भरवा दिया...... छोटी-छोटी मछलियों का कष्ट दूर हो गया।
बर्षों की समस्या का स्थाई समाधान हो गया था।

#नोट_कथा

भैया..... थोड़ा धैर्य रखें......  इस 2-4 दिन की परेशानी से घबड़ाए नहीं। यह आपके हित के लिए किया गया एक ऐतिहासिक फैसला है..... यह देश हित के लिए है।


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