मंदिर ,आदिवासी और गरीब
एक बार एक गांव में *मंदिर* का काम चल रहा था, मंदिर *आदिवासी* और *गरीब* लोग बना रहे थे, एक *आदिवासी बड़ी मूर्ति* बना रहा था! कुछ दिन बाद *मंदिर* बनकर तैयार हो गया, मंदिर में *पुजारियो* द्वारा *हवन कार्य मूर्ति स्थापना* और *मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा* आदि कार्य सम्पन्न हो गया, अगले दिन *मन्दिर दर्शन* के लिए खोल दिया। वह *मूर्तिकार* जिसने मूर्ति बनाई वो भी *दर्शन* को आया था । वह ख़ुसी के मारे बिना *चप्पल* उतारे *मन्दिर में प्रवेश* कर गया । पुजारी उस पर *क्रोधित* हुआ और कहा - 'मुर्ख तू जाहिल है क्या *चप्पल* पहनकर मन्दिर में नही आते जा चप्पल *बहार* उतार के आ '! आदिवासी बोला -' *पुजारी जी* जब में चप्पल पहनकर मूर्ति बना रहा था और चप्पलों से उस पर चढ़ जाता था तब किसी ने मना नही किया :'! पुजारी बोला -" बेबकूफ हम ने अपने मन्त्रो से *मूर्ति में प्राण* डाल दिए है समझ गया ", बेचारा *आदिवासी चुपचाप* अपने घर चला गया, कुछ दिन बाद वह दोवारा मन्दिर गया तो देखा की मन्दिर में ताला लगा था, उसको किसी ने बताया की *पुजारी जी* का *बेटा* खत्म ...